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_ShAnE_StArK_ 2015/09/10 17:31
à¤à¤• बेटा अपने वृदà¥à¤§ पिता को रातà¥à¤°à¤¿ à¤à¥‹à¤œ के लिठà¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ रेसà¥à¤Ÿà¥‰à¤°à¥‡à¤‚ट में लेकर गया।
खाने के दौरान वृदà¥à¤§ पिता ने कई बार à¤à¥‹à¤œà¤¨ अपने कपड़ों पर गिराया।
रेसà¥à¤Ÿà¥‰à¤°à¥‡à¤‚ट में बैठे दà¥à¤¸à¤°à¥‡ खाना खा रहे लोग वृदà¥à¤§ को घृणा की नजरों से देख रहे थे लेकिन वृदà¥à¤§ का बेटा शांत था।
खाने के बाद बिना किसी शरà¥à¤® के बेटा, वृदà¥à¤§ को वॉश रूम ले गया। उसके कपड़े साफ़ किये, उसका चेहरा साफ़ किया, उसके बालों में कंघी की,चशà¥à¤®à¤¾ पहनाया और फिर बाहर लाया।
सà¤à¥€ लोग खामोशी से उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृदà¥à¤§ के साथ
बाहर जाने लगा।
तà¤à¥€ डिनर कर रहे à¤à¤• अनà¥à¤¯ वृदà¥à¤§ ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा " कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ नहीं लगता कि यहाà¤
अपने पीछे तà¥à¤® कà¥à¤› छोड़ कर जा रहे हो ?? "
बेटे ने जवाब दिया" नहीं सर, मैं कà¥à¤› à¤à¥€ छोड़ कर
नहीं जा रहा। "
वृदà¥à¤§ ने कहा " बेटे, तà¥à¤® यहाà¤
छोड़ कर जा रहे हो,
पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पà¥à¤¤à¥à¤° के लिठà¤à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ (सबक) और पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पिता के लिठउमà¥à¤®à¥€à¤¦ (आशा)। "
दोसà¥à¤¤à¥‹ आमतौर पर हम लोग अपने बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना पसà¤à¤¦ नही करते
और कहते है कà¥à¤¯à¤¾ करोगो आप से चला तो जाता
नही ठीक से खाया à¤à¥€ नही जाता आपतो घर पर ही रहो वही अचà¥à¤›à¤¾ होगा.
कà¥à¤¯à¤¾ आप à¤à¥‚ल गये जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी गोद मे उठा कर ले जाया
करते थे,
आप जब ठीक से खा नही
पाते थे तो माठआपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर जाने पर डाà¤à¤Ÿ नही पà¥à¤¯à¤¾à¤° जताती थी
फिर वही माठबाप बà¥à¤¢à¤¾à¤ªà¥‡ मे बोठकà¥à¤¯à¥‹ लगने लगते है???
माठबाप à¤à¤—वान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये और पà¥à¤¯à¤¾à¤° दीजिये...
कà¥à¤¯à¥‹à¤•ि à¤à¤• दिन आप à¤à¥€ बà¥à¤¢à¥‡ होगे फिर अपने बचà¥à¤šà¥‹ से सेवा की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ मत करना....