* ek ruh se prem * by
Swt.Raaz 2014/01/06 03:51
à¤à¤• रà¥à¤¹ से पà¥à¤°à¥‡à¤®
बहà¥à¤¤ से लोग à¤à¤¸à¥‡ हैं जो यह मानते हैं कि आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤ नहीं होती, उनका कोई वजूद नहीं होता। लेकिन उन लोगों को शायद यह नहीं पता कि वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने à¤à¥€ इस बात की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ की है कि आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤ सच में होती हैं।
आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ होती है, इंसानी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के अंदर उनकी à¤à¥€ à¤à¤• अलग दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ होती है। अगर कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ उनकी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में दखल देता है तो वे इसे बिलà¥à¤•à¥à¤² सहन नहीं कर सकते। अगर कोई गलती से उनकी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में कदम रखता à¤à¥€ है तो उसे पछताने के अलावा और कà¥à¤› हासिल नहीं होता।
à¤à¤• बार मेरे अंकल अपने कà¥à¤› दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ अपनी गाड़ी से पटना से रांची जा रहे थे। रात का करीब à¤à¤• बजा होगा, उनकी गाड़ी में खूब गाना बजाना हो रहा था, सब लोग बहà¥à¤¤ मसà¥à¤¤à¥€ कर रहे थे कि अचानक अंकल ने गाड़ी रोक दी।
गाड़ी रà¥à¤•à¤¨à¥‡ से उनके सारे दोसà¥à¤¤ उन पर चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ लगे कि गाड़ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रोक दी?
तब अंकल ने बाहर की तरफ इशारा किया और कहा- वो देखो बाहर à¤à¤• लड़की अकेली खड़ी है।
उनके सारे दोसà¥à¤¤ आà¤à¤–ें फाड़–फाड़ कर à¤à¤¸à¥‡ देखे जा रहे थे मानो आज तक कà¤à¥€ इतनी सà¥à¤‚दर लड़की नहीं देखी हो।
अचानक अंकल की आवाज ने दोसà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ को तोड़ा, अंकल ने कहा- इतनी रात को यह लड़की यहाठकà¥à¤¯à¤¾ कर रही है? रà¥à¤•à¥‹, मैं पूछ कर आता हूà¤à¥¤
तब उनके à¤à¤• दोसà¥à¤¤ ने कहा- नहीं यार मत जा, इतनी सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ जगह पर यह लड़की अकेली यहाठहै, मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› ठीक नहीं लग रहा है। पहले तो अंकल कà¥à¤› गंà¤à¥€à¤° हà¥à¤, फिर अचानक हंसते हà¥à¤ कहने लगे- तà¥à¤® को कà¥à¤¯à¤¾ लगता है, यह कोई à¤à¥‚त है?
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