*ek ruh se prem last part * by
Swt.Raaz 2014/01/06 12:17
पर अंकल को कोई घर नहीं दिख
रहा था। जब तक वो कà¥à¤› पूछते,
तब तक तो वो जा चà¥à¤•à¥€ थी।
फिर अंकल ने
à¤à¥€ गाड़ी सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤Ÿ की और
वहाठसे चले गà¤à¥¤
घर पहà¥à¤à¤š कर सब अपने अपने
जीवन में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ हो गà¤, लेकिन
अंकल
उसका चेहरा नहीं à¤à¥à¤²à¤¾ पा रहे
थे. उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उस लड़की के
पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® का अहसास होने
लगा था।
धीरे-धीरे वकà¥à¤¤ बीतता गया,
फिर अचानक à¤à¤• दिन अंकल उस
लड़की को अपने घर के पास
देखकर चौंक गà¤à¥¤ उसे अपनी तरफ
आता देख वो समठगठकि वो उनसे
ही मिलने आ रही है।
पता नहीं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उसको देखते
ही उनकी सोचने समà¤à¤¨à¥‡
की शकà¥à¤¤à¤¿ चली जाती थी और वह
बस उसे देखते ही रहते थे।
उससे मिलने का सिलसिला बहà¥à¤¤
दिन तक चलता रहा।
फिर à¤à¤• दिन जब वो सà¥à¤¬à¤¹-सà¥à¤¬à¤¹
पेपर पढ़ रहे थे तब अचानक
उनकी नजर उस पेज पर पड़ी जिस
पर उस लड़की की फोटो छपी थी,
जिससे वो लगातार कई दिनों से
मिल रहे थे।
लेकिन जब उस फोटो के नीचे
लिखे लाइनों को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने
पढ़ा तो वो चौंक गà¤, उसमें
उसके मृतà¥à¤¯à¥ दिवस पर उसे
शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि दी गई थी। उस
दिन के बाद से आज तक वो फिर
उनसे नहीं मिली। इस बात को à¤à¤•
लंबा समय गà¥à¤œà¤° गया है लेकिन
अंकल आज à¤à¥€ यह नहीं समà¤
पा रहे कि कà¥à¤¯à¤¾ वह à¤à¤•
आतà¥à¤®à¤¾ से पà¥à¤¯à¤¾à¤° करने लगे थे?
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