Forgiveness by
HandsomeDon 2015/10/31 16:04
à¤à¤• राजा था ।उसने 10 खूंखार जंगली कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ पाल रखे थे ।जिनका इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² वह लोगों को उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिठकरता था ।
à¤à¤• बार कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ हà¥à¤† कि राजा के à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ मंतà¥à¤°à¥€ से कोई गलती हो गयी। अतः कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ होकर राजा ने उसे शिकारी कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के समà¥à¤®à¥à¤– फिकवाने का आदेश दे डाला।
दस दिन की मोहलत…
सजा दिठजाने से पूरà¥à¤µ राजा ने मंतà¥à¤°à¥€ से उसकी आखिरी इचà¥à¤›à¤¾ पूछी।
“राजन ! मैंने आजà¥à¤žà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ सेवक के रूप में आपकी 10 सालों से सेवा की है…मैं सजा पाने से पहले आपसे 10 दिनों की मोहलत चाहता हूठ।†मंतà¥à¤°à¥€ ने राजा से निवेदन किया ।
राजा ने उसकी बात मान ली ।
दस दिन बाद राजा के सैनिक मंतà¥à¤°à¥€ को पकड़ कर लाते हैं और राजा का इशारा पाते ही उसे खूंखार कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के सामने फेंक देते हैं। परंतॠयह कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ मंतà¥à¤°à¥€ पर टूट पड़ने की बाजठअपनी पूà¤à¤› हिला-हिला कर मंतà¥à¤°à¥€ के ऊपर कूदने लगते हैं और पà¥à¤¯à¤¾à¤° से उसके पैर चाटने लगते हैं।
राजा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ से यह सब देख रहा था उसने मन ही मन सोचा कि आखिर इन खूंखार कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कà¥à¤¯à¤¾ हो गया है ? वे इस तरह कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कर रहे हैं ?
आखिरकार राजा से रहा नहीं गया उसने मंतà¥à¤°à¥€ से पà¥à¤›à¤¾ ,†ये कà¥à¤¯à¤¾ हो रहा है , ये कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡ काटने की बजाये तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ साथ खेल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ रहे हैं?â€
†राजन ! मैंने आपसे जो १० दिनों की मोहलत ली थी , उसका à¤à¤•-à¤à¤• कà¥à¤·à¤£ मैं इन बेजà¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥‹ की सेवा करने में लगा दिया। मैं रोज इन कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को नहलाता ,खाना खिलाता व हर तरह से उनका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखता। ये कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ खूंखार और जंगली होकर à¤à¥€ मेरे दस दिन की सेवा नहीं à¤à¥à¤²à¤¾ पा रहे हैं परंतॠखेद है कि आप पà¥à¤°à¤œà¤¾ के पालक हो कर à¤à¥€ मेरी 10 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥‚ल गठऔर मेरी à¤à¤• छोटी सी तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿ पर इतनी बड़ी सजा सà¥à¤¨ दी.! â€
राजा को अपनी à¤à¥‚ल का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो चà¥à¤•à¤¾ था , उसने ततà¥à¤•à¤¾à¤² मंतà¥à¤°à¥€ को आज़ाद करने का हà¥à¤•à¥à¤® दिया और आगे से à¤à¤¸à¥€ गलती ना करने की सौगंध ली।
मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ , कई बार इस राजा की तरह हम à¤à¥€ किसी की बरसों की अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ को उसके à¤à¤• पल की बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के आगे à¤à¥à¤²à¤¾ देते हैं। यह कहानी हमें कà¥à¤·à¤®à¤¾à¤¶à¥€à¤² होना सीखाती है, ये हमें सबक देती है कि हम किसी की हज़ार अचà¥à¤›à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को उसकी à¤à¤• बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ के सामने छोटा ना होने दें।
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