Kya bhatiy mahilaye suraksit hai? by Sarfarosh 2013/09/29 18:22
मुज्जफरनगर के कवाल गाँव के शाहबाज़ ने कालिज से पढ़ कर आती एक लड़की को छेड़ा और उसे तंग किया। लड़की ने घर आकर अपनी दुर्गति की घटना बताई तो लड़की के भाईयों, सचिन और गौरव ने शाहबाज़ से मारपीट की जिससे उसकी मृत्यु हो गई। यदि वह किसी टीवी चैनल का एंकर न हो तो कोई भी स्वाभिमानी भाई, अपनी बहन को छेड़े जाने से इस प्रकार की उग्र प्रतिक्रिया करेगा ही। यह अलग बात है कि कुछ लोगों को यह प्रतिक्रिया सामन्तवादी चेतना लगे। शाहबाज़ की मौत के बाद पूरे गांव ने मिलकर सचिन और गौरव की हत्या कर दी। इस पूरे कांड को यहाँ तक तो स्वभाविक क्रिया-प्रतिक्रिया कहा जा सकता है लेकिन इसका अगला हिस्सा चिन्ता का कारण है।
तीस अगस्त को शुक्रवार था। ज़ुम्मे की नमाज के बहाने हज़ारों मुसलमान एकत्रित हुये और धारा १४४ की चिन्ता न करते हुये वहाँ उत्तेजक भाषण हुये। किसी ने भी शाहबाज के आचरण की निन्दा नहीं की। सभी लड़की के भाईयों को ही दोषी ठहरा रहे थे। इन्तकाम लेने की बातें की जा रही थीं। लडकी यदि चुपचाप शाहबाज के शोषण का शिकार होती रहती तब शायद तथाकथित पंथ निरपेक्षता के दावेदार इसे हिन्दु-मुस्लिम एकता का उदाहरण कह कर प्रचारित करते। शाहबाज को एक ही तरीके से दोषी ठहराया जा सकता था। यदि लडकी शाहबाज की शिकायत घरवालों से करने की बजाय गले में चुन्नी डाल कर पंखे से लटक जाती, तब निश्चय ही प्रशासन और मीडिया शाहबाज को कटघरे में खडा करता। लेकिन लड़की का दोष केवल इतना ही था कि उसने आत्महत्या नहीं की। शायद सरकार चला रहे प्रगतिवादी ये भी कहें कि ऐसे केसों में पुरानी परम्परा को देखते हुए उसे आत्महत्या कर लेनी चाहिये थी। उसने आत्महत्या नहीं की तभी जुम्मे के दिन लोग इतना भड़क गये।
_ShAnE_StArK_ 2013/10/15 10:50
Wha...
Fremder_Aryan 2013/10/19 04:58
/smiley
I'm salut ur thinking...!

Sarfarosh 2014/04/26 08:55
Thanks
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